|
回复:情到深处人孤独 情到深处人孤独 人身立世,庸人自扰时多。时事纷繁林林总总 ,如入迷宫之烦恼莫若一个“情”字!问世间情为何物?各有所解。此为剪不断理还乱百思不得其解之物——一如初谙情事却满头雾水的少年维特、一如跃跃欲试企舔西厢窗纸的宝玉哥哥。 如此烦恼不为烦恼,充其量只能算是迷茫,或曰少年不识愁滋味为赋新词强说愁而已! 闲来常为古人抹泪,或有所悟:为情所累为情痴迷到了不愿独活者是为“情”字面前大彻大悟之祭情人! 古人常以身演绎千古绝唱,让后人荡曲廻肠扼腕嗟吁之余自愧苟且人生。睹物思人触景生情,每每自觉人生旅途无波澜,见彩蝶飞舞便有英台盼穿秋水之切肤痛楚,观沈园半壁残垣就为唐婉之凄怯动容,睹长城垒石如沐孟姜女的倾盆泪雨, 走小吏巷似有刘兰枝举身赴清塘的飘忽丽影。 曾几何时,江湖推崇“不愿同年同月同日生,但愿同年同月同日死”,然做得到者几人?倒是痴男怨女成了历代的实践者,不愿独享本该两人共有的时光,其情殷殷,其志昭昭,甚至不惜喋血而逝! 书写至此,不禁有千种情愫涌上心头:大凡为情所困不得解脱者最孤独!守住孤独,是幸福之人也是不幸之人。不是么,苦守十八年寒窗的王宝钗你说是幸还是不幸?八旬陆放翁累忆沈园惊魂你说是幸还是不幸?! 我辈多为庸人,兼现代生活带来几多诱惑,使人情繁纷更趋与浮躁,今人或许感受不到古人誓守那片痴情且矢志不渝的情怀,然古人纯情愚钝殉情如是曾引多少人垂泪嗟叹,委实令今人汗颜。 有人说,自古圣贤多寂寞,我谓古人痴情最孤独! 2003.1.11.初稿,2004。2。18。修改稿 ※※※※※※ *闲挑灯花* |
| 闲挑灯花 | 1486 | 07-16 21:15 | ||
|---|---|---|---|---|---|
| 回复:沈园绝唱叹悲情[2楼] | 闲挑灯花 | 132 | 07-16 21:21 | |
| 校花撩拨的情怀[3楼] | 闲挑灯花 | 124 | 07-16 21:26 | |
| 回复:呵呵~[4楼] | 梦里思雨 | 53 | 07-16 21:26 | |
| 回复:灯花兄请进[5楼] | dream_梦儿 | 51 | 07-16 21:26 | |
| 豪饮[6楼] | 闲挑灯花 | 153 | 07-16 21:30 | |
| 回复:情到深处人孤独[7楼] | 闲挑灯花 | 131 | 07-16 21:35 | |
| 青藤攀檐四百年[8楼] | 闲挑灯花 | 97 | 07-16 21:40 | |
| 桥都揽胜[9楼] | 闲挑灯花 | 125 | 07-16 21:44 | |
| 漂在都市边缘[10楼] | 闲挑灯花 | 102 | 07-16 21:50 | |
| 美人有天姿 七分靠认定[11楼] | 闲挑灯花 | 147 | 07-16 21:55 | |
| 丑女嫁了谁[12楼] | 闲挑灯花 | 129 | 07-16 22:00 | |
| 校花还是那样红?[13楼] | 闲挑灯花 | 118 | 07-16 22:07 | |
| 走近高丰文[14楼] | 闲挑灯花 | 174 | 07-16 22:12 | |
| 浅尝东北菜[15楼] | 闲挑灯花 | 129 | 07-16 22:17 | |
| 品味东北[16楼] | 闲挑灯花 | 110 | 07-16 22:24 | |
| 漂流天仙河[17楼] | 闲挑灯花 | 144 | 07-16 22:29 | |
| 浮生看徽菜[18楼] | 闲挑灯花 | 99 | 07-16 22:37 | |
| 西湖夜放花千树[19楼] | 闲挑灯花 | 96 | 07-16 22:44 | |
| 倾听闵惠芬[20楼] | 闲挑灯花 | 141 | 07-16 22:50 | |
| 我所认识的克里木[21楼] | 闲挑灯花 | 261 | 07-16 22:56 | |
| 回复:谢谢~~[22楼] | 闲挑灯花 | 55 | 07-17 13:26 | |
| 回复:呵呵[23楼] | dream_梦儿 | 64 | 07-17 21:18 | |
| 回复:闲挑灯花文集[24楼] | dream_梦儿 | 56 | 07-17 21:20 | |